नारी, देवी, शक्ति, केवल नाम दिखावा।वादा, रक्षा, झूठ,छलावा।।लुटती आबरू, बहते आँसू।गूंजती चीखें, हरण हो रहे चीर।।बलात्कार,अत्याचार,हाहाकार।मूक,मौन, सन्नाटा, चुप्पी।साधे भारत के वीर।।भय,भूख, निराशा,हिंसा, वैमनस्यता।भूखी घूरती निगाहें।रक्षक,भक्षक,कौन बचाए।गिद्धबैठे, घात लगाए।।भावुक,बलिदानी,त्यागी, श्रधेय।पूज्य,आराध्य,सुलक्षणी।।डायन,कुतिया,गणिका,उल्टा, कुलटा, कुलक्षणी।।लक्ष्मी,दुर्गा,काली, कामिनी।भंवरी,अरुणा,निर्भया,दामिनी।दासी, त्याग,सती,पर्दा और प्रथा।घुटन, कुंठा, उपेक्षा, व्यथा।।आत्मनिर्भर,शिक्षा,सुरक्षा, नारे।न सत्य,-न सरोकार,भ्रम है सारे।।जब तक न हो, साम्य,स्वतंत्र मुक्त हर बंधन।
झूठा वचन दूँ कैसे?किस मुँह से मनाऊं रक्षाबन्धन।।सुनील पंवार की कलम से✍️
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