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Wednesday, 7 October 2020

नारी, देवी, शक्ति, केवल नाम दिखावा।

     

                                                   
            


                                 
 

नारी, देवी, शक्ति, केवल नाम दिखावा।
         वादा, रक्षा, झूठ,छलावा।।

लुटती आबरू, बहते आँसू। 
गूंजती चीखें, हरण हो रहे चीर।। 
बलात्कार,अत्याचार,हाहाकार। 
मूक,मौन, सन्नाटा, चुप्पी। 
साधे भारत के वीर।।

भय,भूख, निराशा,हिंसा, वैमनस्यता
भूखी घूरती निगाहें।
रक्षक,भक्षक,कौन बचाए।
 गिद्धबैठे, घात लगाए।।

भावुक,बलिदानी,त्यागी, श्रधेय।
पूज्य,आराध्य,सुलक्षणी।। 
डायन,कुतिया,गणिका,
उल्टा, कुलटा, कुलक्षणी।।

लक्ष्मी,दुर्गा,काली, कामिनी। 
भंवरी,अरुणा,निर्भया,दामिनी।         
दासी, त्याग,सती,पर्दा और प्रथा।
घुटन, कुंठा, उपेक्षा, व्यथा।।

आत्मनिर्भर,शिक्षा,सुरक्षा, नारे।
न सत्य,-न सरोकार,भ्रम है सारे।।
जब तक न हो, साम्य,स्वतंत्र मुक्त हर बंधन
झूठा वचन दूँ कैसे?
किस मुँह से मनाऊं रक्षाबन्धन।।

सुनील पंवार की कलम से✍️

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