Pages

Sunday 18 October 2020

मैं एक लड़की हूँ।





 मैं एक लड़की हूँ।

जोर से न हंसू,

कही न जाऊँ,

घर के काम सीखू,

क्यौंकि मैं एक लड़की हूँ।


सादा रूप है मेरा,

रंग भी है काला,

फिर दहेज भी ज्यादा,

क्योकि मैं एक लड़की हूँ।


विवाह के बाद मैं जिम्मेदार,

बच्चे,बड़े,घर और परिवार,

सारी बातों के लिये तय्यार,

क्योकिं मैं एक लड़की हूँ।


चुप रहू कुछ न बोलू ,

सिर्फ मै  सबकी सुनू,

खुली जुबां तो बातें चार,

क्योकि मैं एक लड़की हूँ।


झरना माथुर 

उतराखंड 

1 comment:

  1. एक लड़की का जीवन ऐसा ही संघर्षों से भरा होता है।

    ReplyDelete