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Thursday, 8 October 2020

काश.. तुम इश्क़-इश्क़ हो जाते

 

                                                       


 


                                                           काश.. तुम इश्क़ - इश्क़ हो जाते 


मैं तो बन गई प्रीत तेरी, 

काश... तुम भी प्रेम हो जाते !

सपनो  की इस नगरी में, 

साथ ख़्वाब बन मेरे, तुम सो जाते !!


इश्क़ नदी सी मैं, बह निकली, काश... तुम सागर बन जाते !

जैसे खोई मैं तुझ में, तुम भी मुझमें कहीँ, खो जाते !!


बन कर अशक  हँसने लगी, काश... तुम भी आँसू बन जाते !

हँसते- हँसते एक बूँद, तुम मेरे लिए रो जाते !!


मैं तो ठहरी रात अँधेरी, 

काश... तुम चंद्रतारा बन जाते !

एक रोज़ खुद ही फिर तूम, 

चाँद "पूनम" का हो जाते !!


बंजर दिल की धरती पर, 

एक बीज इश्क़ का, बो जाते !

यादो की  रिमझिम बारिश में, 

फिर तुम इश्क़-इश्क़ हो  जाते !!


©✍🏻पूनम बागड़िया "पुनीत"

    (दिल्ली)



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