मेरी कविता जैसे हो तुम!
माना मुझे कविता लिखना नहीं
आता ,पर मेरे अंतर्मन से निकले
हर शब्दों का अहसास हो तुम।
मेरे प्यार की एक अलग पहचान
हो ,तुम जिसकी दर्द भरी अपनी
मेर कविता तो नहीं फिर भी मेरी
मेरी आँखों के वो स्वप्निल एहसास
हो,तुम जो नित नित दिन सपने
मैं एक कवि तो नहीं पर मेरी
कविता तुम बिन कभी पूरी भी
मेरे प्यार के प्यास की वो
माना! तुम मेरी कविता नहीं
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति सराहनीय ।
ReplyDeleteसादर
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDelete