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Wednesday 7 October 2020

एक शाम बिताने की ख्वाहिश है तुम्हारे साथ


  एक शाम चाहिए 


 इस भागती दौड़ती जिंदगी में

एक शाम बिताने की ख्वाहिश है तुम्हारे साथ

एक कप चाय की चाहत है तुम्हारे साथ

प्रेमी-प्रेमिका की तरह बिल्कुल नहीं

एक दूसरे की आंखों में देखते हुए भी नहीं

एक शाम चाहिए

भीड़ में भी सुकून भरी तन्हाई सी शाम

एक शाम चाहिए,

कनॉट प्लेस की सड़कों पर दौड़ती, 

अनगिनत गाड़ियों के पहियों में

जिंदगी की रफ्तार को देखती हुई शाम

ऐसी ही एक शाम बिताने की ख्वाहिश है तुम्हारे साथ

तुम कुछ मत सुनना, मैं कुछ कहूंगी भी नहीं

बिन कुछ कहे और सुने

बिल को बांट लेंगे आधा-आधा

और फिर देर तक महसूस करते रहेंगे

चाय की खुशबू में डूबी, महकी सी शाम✍️

कुछ ऐसे ही, बेवजह

एक शाम बिताने की ख्वाहिश है तुम्हारे साथ।


                                             

        ममता धवन 

            शिक्षिका (मैथ्स एंड फिजिक्स)

         नई दिल्ली 

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