कहानी ही तो हूँ बस........
कहीं कोख में मारे जाने की,
कभी पैदा होने पर कुचले जाने की,
कभी भूखे भेडि़यों की प्यास बनी,
मेरा अस्तित्व है ही कहाँ,
पैदा होने पर श्राप बताया,
जाने किस-किसने क्या-क्या,
मेरी माँ को सुनाया,
बुआ-दादी की आँखो की चुभन बनी,
कब किसने मेरे मन की सुनी,
ससुराल भेज मुझको सबको चैन आया,
मायके से बैगाना बनाया,
मेरे अपनो ने ही पराया धन बताया,
ससुराल में भी,
वजूद पाने की जद्वोजहद रही,
पति के नाम से मेरी पहचान बनी,
सासू माँ को पौता दे दूँ,
पति की सेज सजादूँ,
घर के हर कोने की मैं जरूरत बनी,
वजूद अपना हर वक्त तलाशती रही,
ना मैं मायके में कुछ थी,
ना मैं ससुराल में कुछ बनी
कहानी ही तो हूँ बस....... एक स्त्री।।
डाँ.नवीन
(हरियाणा )
Thanks
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