अच्छा होता कोख में ही, मर जाती मैं।
कम से कम दरिंदो से तो, बच जाती मैं |
सोचा के पढ़लिख के दहेज लोभियों से, बच जाऊंगी मैं
ये न था मालूम मानसिक रोगियों से ना, बच पाऊंगी मैं |
इस तरह सरेआम सड़को पर, नोची जाऊंगी मैं।
प्रेम प्रस्ताव ठुकराने पर तेजाब से नहलाई जाऊँगी मैं।
दफन हो चुकी मानवता जानवर है इन्सान यहाँ
औरत की लुटती इज्जत का ये युग है मिसाल यहाँ
खुद को कर ले मजबूत ए लाडो, यही गीत गाऊँगी मैं
ना आना तू इस देश में लाडो, ये कैसे उन्हें समझाऊगीं मैं
पूनम तुसामड
सोनीपत (हरियाणा)
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