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Thursday, 8 October 2020

संताप की अग्नि मे तुझे जलना होगा






 संताप की अग्नि मे तुझे जलना होगा


संताप की अग्नि में तुझे जलना होगा, 

हर दिन हर पल जलना होगा। 

समय रहते ना तुम समझे, 

अब हर दिन इसका अफसोस करना होगा। 

जननी थी वो तुम्हारी, 

तुम्हारी खुशी उसे सब से प्यारी। 

पर तूने कभी ना, 

उसकी खुशी पहचानी। 

राह तेरी देखत देखत, 

नैन उसके पथरा गये, 

अब तुझे जिंदगी भर रो रो कर

आँसुओ को पीना होगा। 

उसने अपने सारे फर्ज़ धीरे धीरे निभा दिये। 

अपने सारे बच्चों को आँखो के सामने बसा लिए। 

जब तेरी बारी आई हे पूत, 

तू दुनिया की चकाचौन्ध में चला गया। 

अब उसी चकाचौन्ध में

तुझको अकेला रहना होगा। 

कितनी अभागन रही वो माँ, 

ना मूल देख सकी ना सूद

दिन रात उसी की राह में घुटती रही खुद। 

उसके इस दुःख का भोग तुझे भोगना होगा। 

संताप की अग्नि में तुझे जलना होगा।

देख अभागा आज तू , 

देवी के अंतिम दर्शन ना कर सका

उसको अग्नि में समर्पित करने का 

सौभाग्य भी ना तुझे मिला। 

अब इसी दुर्भाग्य के साथ तुझको अब चलना होगा

संताप की अग्नि में तुझे अब जलना होगा। 


स्वाति झा


जमशेदपुर (झारखंड)

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